सतलुजजल विद्युत निगम लिमिटेड (पूर्वनाम, नाथपा झाकड़ी पावर कारपोरेशन लिमिटेड- एनजेपीसी) की स्थापना 24 मई1988 को हिमाचल प्रदेश में सतलुज नदीबेसिन और किसी भीअन्य स्थान पर परियोजनाओं कीआयोजना कर इनके सर्वेक्षणसे लेकर निर्माण तकके कार्य करने एवं इनकापरिचालन व रख-रखावकरने हेतु भारत सरकारतथा हिमाचल प्रदेश सरकार के संयुक्त उपक्रमके रूप में कीगई थी। सतलुज जलविद्युत निगम लिमिटेड कीवर्तमान प्राधिकृत शेयर पूंजी रु.4500 करोड़ है।
नाथपाझाकड़ी जलविद्युत स्टेशन - एनजेएचपीएस (1500 मेगावाट) सतलुज जल विद्युत निगमद्वारा निष्पादन के लिए हाथमे ली गई प्रथमपरियोजना है।
एसजेवीएन की भविष्य की परियोजनाएँ एवं योजनाएँ
एसजेवीएन वर्तमान में 1500 मेगावाट क्षमता के नाथपा झाकड़ी जलविद्युत स्टेशन का प्रचालन एवं 412 मेगावाट क्षमता की रामपुर जल विद्युत परियोजना का निर्माण कर रहा है। 775 मेगावाट क्षमता की लूहरी जल विद्युत परियोजना तथा 40 मेगावाट क्षमता की धौलासिद्ध जलविद्युत परियोजना के निष्पादन अनुबंधों पर हिमाचल प्रदेश सरकार के साथ 27 अक्टूबर 2008 को हस्ताक्षर किए गए हैं। इसके अतिरिक्त एसजेवीएन उत्तराखण्ड राज्य में 252 मेगावाट की देवसरी जल विद्युत परियोजना, 59 मेगावाट की नैटवार मोरी तथा 45 मेगावाट की जाखोल सांकरी जल विद्युत परियोजनाओं का भी निर्माण कर रहा है। हिमाचल प्रदेश सरकार ने एसजेवीएन को हिमाचल प्रदेश में खाब जल विद्युत परियोजना (1020 मेगावाट) डीपीआर बनाने के लिए भी सौंपी है और उम्मीद है कि एसजेवीएन ही इसका निर्माण करेगा।
कंपनी ने अब देश की सीमाएं लांघकर खुली बोली के आधार पर नेपाल में अरुण-III जलविद्युत परियोजना (402 मेगावाट) हासिल की है। इसके अतिरिक्त कंपनी को भूटान में वांग्चू जल विद्युत परियोजना (600 मेगावाट) तथा खोलोंग्चू जल विद्युत परियोजना (650 मेगावाट) नामक दो परियोजनाओं की डीपीआर बनाने/उन्नयन करने का कार्य भी सौंपा गया है। कुल मिलाकर देखा जाए तो अगले कुछ सालों में एसजेवीएन के अरबों डालर लागत वाली परियोजनाओं के प्रचालन एवं निर्माण क साथ संबंद्ध होने की संभावना है।
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